by Suraj Kothiyal | Nov 29, 2017 | Uncategorized
सुबह सुबह मेरा फ़ोन बजा , मैसेज आया , डिअर सर , इस महीने की EMI है बकाया , इस माया के जाल को कैसे मैं सुलझाऊँ , क्यूँ ना मैं साधु बन जाऊं । साल भर, रगड़ रगड़ मैंने क्या पाया , इस बार भी 5 % इंक्रीमेंट...
by Suraj Kothiyal | Nov 29, 2017 | Uncategorized
एक हाथ में बियर लिए, घर को लौट रहा था मैं , एक हाथ में स्टीयरिंग लिए, पुरानी बातें सोच रहा था में। पंद्रह साल पहले , इसी रस्ते से , स्कूटर के पीछे बैठ , पापा संग जाता था, ठण्डी ठण्डी हवा का लुफ्त उठा , आस्मां के सारे...
by Suraj Kothiyal | Nov 29, 2017 | Poems
एक मजदूर की लड़की से , मालिक की लड़की ने पूछा , कोई द्वेष नहीं था मन में , बचपन की मासूमियत से उसने पूछा । क्यों तू सुबह से श्याम , मिटटी में है खेलती , यह फटे...
by Suraj Kothiyal | Nov 28, 2017 | Poems
एक बड़े होटल में मैंने खाना खाने का मन बनाया, सकुचाया सा एक युवा वेटर मेरे टेबल पर आया। ग्लास में पानी डालते वक़्त उसका हाथ कंपकपाया, अनायास ही, कांच का प्याला उसने फर्श पे गिराया। दौड़ते हुए उस होटल का...