by Suraj Kothiyal | Feb 14, 2019 | Poems
एक साल से तू मेरा सपना था , यूँ अचानक ही कैसे टूट गया , तेरी माँ को मैं , कैसे ये बताऊँ , बता, तुझे मैं कहाँ ले जाऊँ !!! तेरी दादी के यह बहते आंसु , कैसे मैं रोक पाऊँ , दर्द से झूझते तेरे दादा का गम, ...
by Suraj Kothiyal | Nov 29, 2017 | Poems
एक मजदूर की लड़की से , मालिक की लड़की ने पूछा , कोई द्वेष नहीं था मन में , बचपन की मासूमियत से उसने पूछा । क्यों तू सुबह से श्याम , मिटटी में है खेलती , यह फटे...
by Suraj Kothiyal | Nov 28, 2017 | Poems
एक बड़े होटल में मैंने खाना खाने का मन बनाया, सकुचाया सा एक युवा वेटर मेरे टेबल पर आया। ग्लास में पानी डालते वक़्त उसका हाथ कंपकपाया, अनायास ही, कांच का प्याला उसने फर्श पे गिराया। दौड़ते हुए उस होटल का...