इन पहाड़ों में मैं बड़ा हुआ ,
इस मिट्टी से हूँ जुड़ा हुआ ,
एक ही सपना देखा अब तक,
बन के रहुँगा , इस देश का रक्षक !
हर दरिया पार कर जाऊंगा,
एक घातक हथियार बन जाऊंगा ,
पा के रहुंगा , सरहद की झलक ,
बन के रहुँगा , इस देश का रक्षक !
तिरंगा हर चोटी पर लहराऊंगा ,
हँसते हँसते हर दर्द सह जाऊंगा,
लड़ता रहुंगा , आखिरी दम तक,
बन के रहुँगा , इस देश का रक्षक !
शायद तिरंगे में लिपटा आऊंगा ,
माँ बाप का सीना चौड़ा कर जाऊंगा ,
मिटा के रहुंगा, इस देश के भक्षक ,
बन के रहुँगा , इस देश का रक्षक !