एक हाथ में बियर लिए,
घर को लौट रहा था मैं ,
एक हाथ में स्टीयरिंग लिए,
पुरानी बातें सोच रहा था में।
पंद्रह साल पहले , इसी रस्ते से ,
स्कूटर के पीछे बैठ , पापा संग जाता था,
ठण्डी ठण्डी हवा का लुफ्त उठा ,
आस्मां के सारे तारे गिन आता था।
चाँद अपने तारों की फ़ौज लिए ,
हमारे स्कूटर का पीछा करते थे ,
क्यों खत्म हुआ चोर पुलिस का खेल ,
क्यों आज वो तारे नहीं दिखते।
उन दिनों ना भीड़ ना प्रदुषण था ,
हमारा वेस्पा क्या हेलीकॉप्टर से कम था,
आज कार के शीशे नीचे करने को हम है झिझकते ,
क्यों, आखिर क्यों वो तारे नहीं दिखते।