सुबह सुबह मेरा फ़ोन बजा , मैसेज आया ,
डिअर सर , इस महीने की EMI है बकाया ,
इस माया के जाल को कैसे मैं सुलझाऊँ ,
क्यूँ ना मैं साधु बन जाऊं ।
साल भर, रगड़ रगड़ मैंने क्या पाया ,
इस बार भी 5 % इंक्रीमेंट ही आया ,
इस महत्वकांशा की आग को कैसे में बुझाऊँ ,
क्यूँ ना मैं साधु बन जाऊं ।
सुबह सुबह उठ, मैं gym को जाऊँ ,
दिन भर सोचुँ क्या खाऊं, क्या न खाऊं ,
क्यों न ये दुविधाएं छोड़, मैं चिलम उठाऊँ ,
भोले का नाम लूं और साधु बन जाऊं ।
मेरी माँ के इस दुनिया से जाने का दुख ,
मेरे बच्चे का इस दुनिया में आने का सुख ,
इस बंधन को कैसे में तोड़ पाऊँ ,
साधु बनने की ताकत कहाँ से लाऊँ।
कैसे मैं साधु बन पाऊँ,
कैसे मैं साधु बन पाऊँ।